ध्यानलिंग प्रक्रिया के बाद जब मेरा शरीर पूरी तरह टूट चुका था और वह रहने लायक भी नहीं बचा था, तब मैनें बड़े पैमाने पर कई बार शरीर को ठीक करने के लिए उस शालिग्राम का इस्तेमाल किया। उच्च कोटि के साधक यक्षिणी में स्वरूप या तो माँ स्वरूप लेते https://edsgerk418zbd8.izrablog.com/profile